UPSC: हिंदी माध्यम से जुड़ी समस्याएं

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हिंदी मध्यम से तैयारी कैसे करें?
  हिंदी मध्यम से तैयारी कैसे करें?


UPSC: हिंदी माध्यम से जुड़ी समस्याएं 


 अगर आप हिंदी माध्यम से सिविल सेवा परीक्षा की तयारी कर रहे हैं तो आपको सामान्य से जुड़ी उन समस्याओं की समझ होना चाहिए जो विशेष रूप से आपके सामने आने वाली हैं।

            मूल समस्या यह है कि सामान्य अध्ययन (मुख्य परीक्षा) में हिंदी माध्यम के उम्मीदवार अंग्रेजी माध्यम की तुलना में कुछ नुकसान की स्थिति में रहते हैं। अगर आप किसी भी वर्ष के परिणाम में अंग्रेजी और हिंदी माध्यम के उम्मीदवार के सामान्य अध्ययन के अंकों की तुलना करेंगे तो पाएंगे की हिंदी माध्यम के उम्मीदवार औसत रूप से 25-35 अंक पीछे रह जाते हैं।यही स्थिति दोनों माध्यमों के टॉपर्स के अंकों के बीच भी दिखाई देती है।इसका कारण यह नही है कि आयोग जानबूझकर हिंदी माध्यम के विरूद्ध कोई साजिश करता है। दरअसल यह नुकसान परीक्षा प्रणाली की आंतरिक प्रकृति के कारण होता हैं। इस नुकसान के कुछ विषेश कारण हैं, जैसे - 

  1. पहला कारण यह है कि अंग्रेजी में जिस स्तर की पाठ्य - सामग्री मिलती है, ठीक वैसी हिंदी माध्यम में नहीं मिल पाती। यह समस्या उन खंडों में ज्यादा विकराल है जिनमें रोज रोज नई घटनाएं घटती है और हिंदी अखबारों में यात्री छपती नही, और छपती भी है तो बहुत कामचलाऊ ढंग से। एसे खंडों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी, अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे तथा अर्थव्यवस्था प्रमुख हैं। गौरतलब है कि इन खंडों के लिए किताबों, पत्रिकाओं और "जर्नल्स" में ही नही, इंटरनेट पर भी हिंदी माध्यम में बराबर स्तर की पाठ्य - सामग्री नहीं मिल पाती।
  2. दूसरा कारण यह है कि बहुत से परीक्षक अंग्रेजी में ज्यादा सहज होने ( और हिंदी में काम सहज होने) के कारण हिंदी के उम्मीदवार की अभिव्यक्ति से पूरा तालमेल नहीं बिठा पाते । वे हिंदी माध्यम समझते तो हैं, पर हिंदी में की गई प्रभावपूर्ण अभिव्यक्तियों का मर्म ग्रहण नहीं कर पाते। यह समस्या उन खंडों में सघन रूप में दिखाती है जिनमें परिभाषिक या तकनीकी शब्दावली का ज्यादा प्रयोग होता है और ऐसे खंडों के हिंदी अनुवाद परीक्षकों के लिए दुर्बोध होते हैं। एसे खंडों में भूगोल, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और विज्ञान - प्रौद्योगिकी को प्रमुख तौर पर शामिल किया जा सकता है।
  3. कभी - कभी प्रश्नपत्र में अनुवाद की गलती से भी ऐसा नुकसान हो जाता है। ध्यान रखना चाहिए की मूल प्रश्नपत्र अंग्रेजी में बनाया जाता है और हिंदी में उसका अनुवाद किया जाता हैं। अगर अनुवाद किसी तकनीकी शब्द का अनुवाद पुस्तकों में प्रचलित अनुवाद से अलग रूप में कर दे या किसी मुहाबरेदार अभिव्यक्ति को सटीक रूप में न समझ पाने के कारण अर्थ का अनर्थ कर दे तो उसकी गलती की सजा हिंदी माध्यम के उम्मीदवार को भुगतनी पड़ती है।
💁 इसके अलावा, यह भी नहीं भूलना चाहिए कि साक्षात्कार (Interview) में भी हिंदी माध्यम के उम्मीदवार कई बार नुकसान में रहते हैं।




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